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tamatar ki kheti

टमाटर की फसल में एकीकृत कीट प्रबंधन

टमाटर की फसल में एकीकृत कीट प्रबंधन

टमाटर उत्पादन किसानों के लिए बहुत ही लाभदायक व्यवसाय है। जहां जलवायु की विविधता के कारण विभिन्न प्रकार की सब्जियों की खेती सफलतापूर्वक की जा रही है। सब्जियों पर कीटों का प्रकोप अधिक होता है। इससे पैदावार में कमी आती है और किसानों को नाशीकीटों द्वारा नुकसान झेलना पड़ता है। अतः कीटों का नियंत्रण अत्यंत महत्वपूर्ण है। कीटनाशकों के दुष्प्रभावों को देखते हुए एकीकृत कीट प्रबंधन पर अधिक बल देने की आवश्यकता है।

टमाटर का फलछेदक

यह एक बहुपौधभक्षी कीट है, जो कि टमाटर को नुकसान पहुंचाता है। इस कीट की सुंडिया कोमल पत्तियों और फूलों पर आक्रमण करती है तथा फिर फल मे छेद करके फल को ग्रसित करती है। फलछेदक की मादा शाम के समय पत्तों के निचले हिस्से पर हल्के पीले व सफेद रंग के अंडे देती हैं। इन अंडों से तीन से चार दिनों बाद हरे एवं भूरे रंग की सुंडियां निकलती हैं। पूरी तरह से विकसित सूंडी हरे रंग की होती है, जिनमें गहरे भूरे रंग की धारियां होती है। यह कीट फलों में छेद करके अपने शरीर का आधा भाग अंदर घुसाकर फल का गूदा खाती है। इसके कारण फल सड़ जाता है। इसका जीवनचक्र 4 से 6 सप्ताह में पूरा होता है।

तंबाकू की फलछेदक सुंडी

यह भी एक बहुपौधभक्षी कीट है। इसके अगले पंख स्लेटी लाल भूरे रंग के होते हैं। पिछले पंख मटमैले सफेद रंग के, जिसमें गहरे भूरे रंग की किनारी होती है। इसकी मादा पत्तों के नीचे 100 से 300 अंडे समूह में देती है, जिनको ऊपर से पीले भूरे रंग के बालों से मादा द्वारा ढक दिया जाता है। इन अंडो से 4 से 5 दिनों में हरे पीले रंग की सुंडियां निकलती हैं। ये प्रारम्भ मे समूह में रहकर पत्तियों की ऊपरी सतह खुरचकर खाती हैं। पूर्ण विकसित सूंडी जमीन के अंदर जाकर प्यूपा बनाती है। इस कीट का जीवनचक्र 30 से 40 दिनों में पूरा होता है। टमाटर की टहनियों पे किट संक्रमण [kit infection on tomato twigs]

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फल मक्खी

फल मक्खी आकार में छोटी होती है, परंतु काफी हानिकारक होती है। यह मक्खी बरसात के मौसम में अधिक नुकसान करती हैं। इनके वयस्कों के गले में पीले रंग की धारियां देखी जा सकती हैं। इस कीट की मादा मक्खी फल प्ररोह के अग्रभाग में अथवा फल के अंदर अंडे देती है। इन अंडों से चार-पांच दिनों में सफेद रंग के शिशु (मैगट) निकल जाते है। ये फलों के अंदर घुसकर इसके गूदे को खाना प्रारंभ कर देते हैं। ये सुंडियां तीन अवस्थाओं से गुजरती हैं तथा मृदा में पूर्णतः विकसित होने पर प्यूपा बन जाती हैं। इन प्यूपा से 8 से 10 दिनों में वयस्क मक्खी निकलती है। यह लगभग एक माह तक जीवित रहती हैं।

सफेद मक्खी

सफेद मक्खी का प्रकोप टमाटर की फसल की शुरूआत से अंत तक रहता है। इस कीट की मक्खी सफेद रंग की होती है और बहुत ही छोटी होती हैं। इसके वयस्क एवं शिशु दोनों ही फलों से रस चूसकर नुकसान पहुंचाते हैं। सफेद मक्खी की मादा पत्तों की निचली सतह में 150 से 250 अंडे देती हैं। ये अंडे बहुत महीन होते हैं जिन्हें नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता। इन अंडों से 5 से 10 दिनों में शिशु निकलते हैं। शिशु तीन अवस्थाओं को पार कर चैथी अवस्था में पहुंचकर प्यूपा में परिवर्तित हो जाते हैं। प्यूपा से 10 से 15 दिनों बाद में वयस्क निकलते हैं और जीवनचक्र फिर से आरंभ कर देते है। इस कीट के शरीर से मीठा पदार्थ निकलता रहता है, जो पत्तों पर जम जाता है। इस पर काली फफूंद का आक्रमण होता है तथा पौधों को नुकसान पहुंचता है।

सफेद मक्खी का पत्तीयों पर प्रकोप

टमाटर के पत्तों पर सफेद कीट [white pests on tomato leaf ]

पर्ण खनिक कीट

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यह एक बहुभक्षी कीट है, जो कि संपूर्ण विश्व में सब्जियों एवं फलों की 50 से अधिक किस्मों को नुकसान पहुंचाता है। इसकी मादा पत्ते के ऊतक एवं निचली सतह के अंदर अंडा देती है। अण्डों से दो-तीन दिनों बाद निकलकर शिशु पत्ते की दो सतहों के बीच में रहकर नुकसान पहुंचाते हैं। ये शिशु सर्पाकार सुरंगों का निर्माण करते हैं। इन सफेद सुरंगों के कारण प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती है तथा फसल की पैदावार पर प्रतिकूल असर पड़ता है। वयस्क शिशु 8 से 12 दिनों बाद मृदा में गिरकर प्यूपा बनाते हैं। इनसे 8 से 10 दिनों बाद वयस्क निकल जाते हैं।

पर्ण खनिक कीट से ग्रसित पत्ती में सर्पाकार सुरंग

कटुआ कीट

यह कीट छोटे पौधों को काफी नुकसान पहुंचाता है। कटुआ कीट छोटे पौधों को रात के समय काटते हैं और कभी-कभी कटे हुए छोटे पौधों को जमीन के अंदर भी ले जाते हैं। एक मादा सफेद रंग के 1200-1900 अंडे देती हैं। इनमें से चार पांच दिनों बाद सूंडी बाहर निकलती है। इसकी सुंडियां गंदी सलेटी भूरे-काले रंग की होती हैं। ये दिन के समय मृदा में छुपी हुई रहती हैं। पौधरोपण के समय से ही ये पौधे को मृदा की धरातल के बराबर तने को काटकर खाती हैं। इसकी सुंडियां लगभग 40 दिनों तक सक्रिय रहती हैं। इसका प्यूपा भी जमीन के अंदर ही बनता है। इसमें से लगभग 15 दिनों में वयस्क पतंगा निकलता है। इस कीट का जीवनचक्र 30 से 60 दिनों में पूरा हो जाता हैं।

टमाटर के पत्तों पर कीट से बनी सुरंग [insect tunnel on tomato leaves]

 

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कटुआ कीट का प्रकोप

एकीकृत कीट प्रबंधन

  • क्षतिग्रस्त फलों को इकट्ठा करके नष्ट कर दें।
  • खेत में सफाई पर विशेश ध्यान दें।
  • खेतों में फसलचक्र को बढ़ावा दें।
  • गर्मियों में खेत की गहरी जुताई करें।
  • अण्डों को और समूह में रहने वाली सुंडियों को एकत्रित करके नष्ट कर देन चाहिए।
  • टमाटर की 16 पंक्तियों के बाद दो पंक्तियां गेंदे की लगाएं और गेंदे पर लगी सुंडियों को मारते रहें।
  • रात्रि के समय रोशनी ‘प्रकाश प्रपंच‘ का इस्तेमाल करना चहिए।
  • नर वयस्कों को पकड़ने के लिए ‘फेरोमोन प्रपंच‘ (रासायनिक) का इस्तेमाल भी उपयोगी है। एक एकड़ जमीन में चार से पांच ट्रैप लगाने चाहिए।
  • फूल आने पर बैसिल्स थुरिनजियंसिस वार कुर्सटाकी5 लीटर प्रति हैक्टर (70 मि.ली. 100 लीटर पानी में डइपैल 8 लीटर) का छिड़काव करें।
  • ट्राइकोग्रामा प्रेटियोसम के अंडो का 20,000 प्रति एकड़ चार बार प्रति सप्ताह की दर से खेतों में प्रयोग करें।
  • सफेद मक्खी और पर्ण खनिक को पकड़ने के लिए पीले रंग के चिपचिपे (गोंद लगे हुए) लगे हुए ट्रैप का इस्तेमाल करना चाहिए। प्रति 20 मीटर में एक ट्रैप लगा सकते हैं।
  • फल मक्खी के नर वयस्कों को पकड़ने के लिए क्युन्योर नामक आकर्षक या पालम ट्रैप का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। 10 ग्राम गुड़ अथवा चीनी का घोल और 2 मि.ली. मैलाथियान (50 ई.सी.) प्रति लीटर पानी में घोल कर छिडकाव करें। मिथाइल यूजीनॉल (40 मि.ली.) और मैलाथियान (20 मि.ली.) (2 मि.ली. प्रति लीटर पानी) के घोल को बोतलों में डालकर टमाटर के खेत में लटकाने से इस कीट को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • अधिक प्रकोप होने पर क्विनालफॉस 20 प्रतिशत (1.5 मि.ली. प्रति लीटर पानी) या लैम्डा-साईहैलोथ्रिन (5 प्रतिशत ई.सी.) या इमिडाक्लोप्रिड5 मि.ली. प्रति लीटर पानी या ट्रायजोफॉस 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें।
  • खेत तैयार करते समय मृदा में क्लोरपाइरिफोस 20 ई.सी. 2 लीटर का 20 से 25 कि.ग्रा. रेत में मिलाकर प्रति हैक्टर खेत में अच्छी तरह मिला दें।
टमाटर की लाली लाएगी खुशहाली

टमाटर की लाली लाएगी खुशहाली

आप कल्पना कर सकते हैं कि किसी किसान ने एक एकड़ जमीन के आधे हिस्से में टमाटर की खेती और आधे में अपने परिवार के लिए गेहूं आदि फसलें उगाकर अपनी सात बेटियों की शादी तो करदी, बाकी जिम्मेदारियां भी बखूबी निभाईं। आज हम उस किसान की सफलता की कहानी का जिक्र इस​ लिए कर रहे हैं ताकि आपको टमाटर की लाली का एहसास हो सके। टमाटर की संकर यानी हा​इब्रिड एवं मुक्त परागित सामान्य किस्में बाजार में मौजूद हैं। सामान्य किस्मों का​ छिलका पताला एवं  इनमें रस व खटास ज्यादा होती है। इसके अलावा हाइब्रिड किस्मों में गूदा ज्यादा व छिलका मोटा होता है। मोटे छिलके वाली किस्में ट्रांसपोर्ट के लिहाज से ज्यादा अच्छी रहती हैं। हाइब्रिड किस्मों को कई दिन तक सामान्य तापमान में भी सुरक्षित रखा जा सकता है। 

बुवाई का समय

  उत्तर भारत के मैदानी ​इलाकों में टमाटर की दो फसलें ली जाती हैं। एक फसल जून जुलाई में नर्सरी डालकर 25 दिन बाद पौध रोपी जाती है। इससे अक्टूबर नवंबर में फल मिलने लगते हैं। उधर अक्टूबर माह में तैयार पौध से रोपित पौधों से जनवरी से अप्रैल तक फल प्राप्त होते हैं। हाइ​ब्रिड किस्मों को ठंड के सीजन में लगाना श्रेयस्कर रहता है। 

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खेत की तैयारी

  टमाटर को हर तरह की जमीन में लगाया जा सकता है। टमाटर की खेती बैड बनाकर करने से फलों के खराब होने की आशंका नहीं रहती। आखिरी जुताई में 25 से 30 टन सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं। इसके अलावा रासायानिक उर्वरकों में 150 किलोग्राम नत्रजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस एवं 60 किलोग्राम पोटाश प्रति हैक्टेयर मिट्टी में मिलाएं। इसके बाद खेत में बैड तैयार करें। बैड पौध के लगाने लायक होने पर ही तैयार करेंं 

नर्सरी डालना

पौधे तैयार करने के लिए नर्सरी डालने के लिए चार से छह इंच उूंची क्यारी बनाते हैं। लम्बाई जरूरत के हिसाब से तथा चौड़ाई एक मीटर रखते हैं ताकि पौध की क्यारी के दोनों तरफ बैठकर खरपतवार आदि को निकाला जा सके। क्यारी में सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाते हैं। बीज को फफूदंनाशनक कार्बन्डा​जिम, बाबस्टीय या ट्राईकोडर्मा में से किसी एक से उपचारित कर लेेना चाहिए। बैड में य​दि डिबलर हो तो डेढ़ से दो सेण्टीमीटर गहरे गड्ढे बनाकर बराबर दूरी व लाइन में बीज को डालना चहिए। इसके बाद जालीदार चलने से गोबर सड़ी और भुरभुरी खाद को क्यारी के समूचे हिस्से पर छान देना चाहिए। तदोपरांत क्यारी को जूट की बोरी या पुआल आदि से ढक दें। हर दिन क्यारी पर हजारा से हल्का पानी नमी बनाए रखने लायक देते रहें। पांच छह दिन में बीजों में अंकुरण हो जाएगा। पाधों के एक हफ्ते का हो जाने पर एम 45, बाबस्टीन आदि दवा की दो ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से पौध पर छिड़काव करें। संकर किस्मों में पत्तों में सुरंग बनने जैसे लक्षण दिखें तो मोनोक्रोटोफास दवा की दो एमएल मात्रा एक लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। 

पौधों को खेत में रोपना

  जब पौधों में पांच से छह पत्ते ​निकल आएं और लम्बाई 15 से 20 सेण्टीमीटर की हो जाए तो रोपने की तैयारी करनी चाहिए। खेत में डेढ़ से दो फीट चौड़े बैड बनाएं। बैड की बगल में नाली हो । पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60 एवं पौधे से पौधे की दूरी 45 सेण्टीमीटर रखनी चाहिए। ज्यादा विकास करने वाली किस्मों के लिए दूरी को और बढ़ाया जा सकता है। 

सिंचाई

  पहली सिंचाई रोपण के बाद की जाती है। इसके बाद जरूरत होने पर सिंचाई करें। 

साथ में लगाएं बेबीकार्न

टमाटर को कार्बन की बेहद आवश्यकता होती है और मक्का कार्बन का सबसे ज्यादा उत्सर्जन करती है। टमाटर जब खेत में रोप दिए जाएं तो 20 से 25 दिन बाद टमाटर के बीज बीच में बेकीकार्न का बीज लगादें। बीज पानी लगाने से पहले लगाएं। इसका लाभ यह होगा कि टमाटर की लागत को निकालने लायक आय बेबीाकर्न से हो जाएगी। इसके अलावा टकाटर की फसल को मक्का कार्बन प्रदान करेगी। इससे फलों की संख्या, ताजगी व गुणवत्ता बेहद अच्छी रहेगी।

किसान ने टमाटर का उचित दाम ना मिलने की वजह से सड़क पर फेंक दिए टमाटर

किसान ने टमाटर का उचित दाम ना मिलने की वजह से सड़क पर फेंक दिए टमाटर

टमाटर उत्पादन करने वाले किसानों को उनकी फसल का समुचित भाव नहीं प्राप्त हो रहा है। इसकी वजह से औरंगाबाद जनपद के एक नवयुवक किसान बेहद परेशान और हताश होकर टमाटर को बाजार विक्रय हेतु ले जाने की अपेक्षा सड़कों पर फेंकना उचित समझ रहा है। युवा किसान ने बताया है, कि इतने कम मूल्य पर लागत तक नहीं निकल पायेगी। महाराष्ट्र राज्य में कृषकों की दिक्कत समाप्त ही नहीं हो पा रही है। कभी बेमौसम बारिश और कभी-कभी उपज का समुचित मूल्य नहीं प्राप्त हो पाता है। बीते सात माह से प्याज के किसानों को बेहद कम मूल्य अर्जित हो रहा है। साथ ही, फिलहाल टमाटर के भाव में भी काफी गिरावट हो गयी है। प्रदेश के औरंगाबाद जनपद में वडजी गांव निवासी एक किसान टमाटर को सड़कों पर फेंकना उचित समझ रहा है। किसान का कहना है, कि बाजार में टमाटर का मूल्य 100 रुपये प्रति क्विंटल प्राप्त हो रहा हैं। अब ऐसे में फसल पर किया गया खर्च भी नहीं निकल सकता इसलिए वह टमाटर सड़कों पर ही फेंकना सही समझ रहा है।
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बतादें, कि किसानों ने बीते कुछ माह से प्राकृतिक आपदाओं की वजह से निरंतर नुकसान का सामना किया है। फिलहाल सब्जियों एवं फसलों के मूल्यों में कमी होने की वजह से आर्थिक रूप से बेहद कमजोर होते जा रहे हैं। टमाटर का उचित भाव न प्राप्त होने पर हताश किसान टमाटरों को सड़क पर फेकने के लिए मजबूर हो गया था।

किसान ने अपनी समस्या को बताया

औरंगाबाद के पैठण तालुक के वाडजी गांव निवासी युवा किसान कैलास बॉम्बले का कहना है, कि उन्होंने स्वयं के एक एकड़ खेत में टमाटर लगाया था। इस दौरान जब टमाटर की प्रथम खेप तैयार होने के बाद किसान टमाटर का विक्रय करने हेतु पैठन बाजार ले जाने का निर्णय लिया गया। परंतु जब उन्हें मालूम हुआ कि, बाजार में टमाटर पर केवल 100 रुपये प्रति क्विंटल से लेकर 200 रुपये प्रति क्विंटल का भाव प्राप्त हो रहा है। बेहद निराशा और हताशा की वजह से किसान ने टमाटरों को सड़क पर ही फेंक दिया। किसान कैलास बॉम्बले ने कहा है, कि इतनी कम कीमत मिल रही है, जिसमें से लागत तक निकाल पाना बेहद मुश्किल है।

जानें कौन-सी मंडी में क्या भाव मिल रहा है

महाराष्ट्र राज्य की चंद्रपुर की मंडी में 20 दिसंबर को 365 क्विंटल टमाटर विक्रय हेतु आये। टमाटर का न्यूनतम दाम 200 रुपये प्रति क्विंटल एवं अधिकतम दाम 400 रुपये प्रति क्विंटल था। वहीं औसतन भाव 300 रुपये प्रति क्विंटल रहा था। राउरि में 36 क्विंटल टमाटर विक्रय हेतु आये। न्यूनतम मूल्य 200 रुपये प्रति क्विंटल एवं अधिकतम मूल्य 800 रुपये प्रति क्विंटल था। वहीं, औसत भाव 600 रुपये प्रति क्विंटल रहा था।
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रहता में 78 क्विंटल टमाटर विक्रय हेतु आये। न्यूनतम मूल्य 200 रुपये प्रति क्विंटल रहा एवं अधिकतम मूल्य 1000 रुपये प्रति क्विंटल और औसत मूल्य 600 रुपये प्रति क्विंटल मिला। डिंडोरी में टमाटर मंडी में 220 क्विंटल टमाटर विक्रय हेतु आये। जिनका न्यूनतम मूल्य 100 रुपये प्रति क्विंटल रहा एवं अधिकतम मूल्य 355 रुपये प्रति क्विंटल वहीं औसत मूल्य 275 रुपये प्रति क्विंटल था।
नववर्ष के जनवरी माह में करें इन सब्जियों का उत्पादन मिलेगा बेहतरीन मुनाफा

नववर्ष के जनवरी माह में करें इन सब्जियों का उत्पादन मिलेगा बेहतरीन मुनाफा

नया साल आ गया है, नए साल के आरंभ में फसलों का चयन उस हिसाब से करना अच्छा होगा जिससे आपको आगामी कुछ माह के अंतराल में ही अच्छा खासा मुनाफा हो सके। नववर्ष के जनवरी माह में किसान उन फसलों को उगाएं, जिनसे किसानों को होली आने तक बेहतरीन लाभ अर्जित हो सके। नए साल के समय में खेतीबाड़ी या कृषि के क्षेत्र में इस वर्ष काफी कुछ अच्छा, नवीन एवं अलग होना है। किसानों की आशाएं नए साल सहित एक बार पुनः जाग्रत हो गई हैं। फसलों से अच्छी पैदावार लेने हेतु किसान निरंतर कोशिशों में जुटे हुए हैं। फिलहाल, बहुत सारे किसानों द्वारा खेतों में सरसों, गेंहू, तोरिया एवं सब्जी फसलों का उत्पादन करना शुरू किया है। अगर आपने अभी ऐसी सब्जियों की बुवाई नहीं की है, तो आप मौसम के अनुरूप कुछ विशेष सब्जियों का चयन करके 2 से 3 माह में बेहतरीन उत्पादन कर सकते हैं। हम आपको आगे यह बताने वाले हैं, कि जनवरी के मौसम में किन सब्जियों का उत्पादन करना चाहिए। किसानों को उन फसलों का उत्पादन करें जिनसे उनको बेहतरीन मुनाफा अर्जित हो सके।

टमाटर का उत्पादन करें

ये बात जग जाहिर है, कि टमाटर की सब्जी बारह महीने चलने वाली फसल है, जिसका उत्पादन प्रत्येक सीजन में किया जा सकता है। सर्दियों के मौसम में भी टमाटर की फसल का उत्पादन किया जा जा सकता है। परंतु फसल को अत्यधिक ठंड-शर्द हवाओं से संरक्षित करना होगा, आप चाहें तो खेत के एक भाग में टमाटर का पौधरोपण कर सकते हैं। बेहतरीन एवं सुरक्षित उत्पादन हेतु पॉलीहाउस अथवा ग्रीन हाउस के भीतर भी टमाटर की फसल उगा सकते हैं। एक बार बुवाई अथवा पौध की रोपाई के उपरांत 10 दिन के अंतराल में एक बार सिंचाई करनी बेहद जरूरी होगी। टमाटर की बेहतरीन किस्मों से कृषि की जा रही है तो निश्चित रूप से आपको होली तक टमाटर का अच्छा उत्पादन प्राप्त हो जाएगा।

मिर्च का उत्पादन करें

सर्दी हो अथवा गर्मी, प्रत्येक मौसम में मिर्च को अत्यधिक उपभोग में लिया जाता है। आपको यह बतादें, कि सर्दियों के मौसम में मिर्च का उपभोग काफी बढ़ जाता है। इस वजह से जनवरी माह में मिर्च का उत्पादन करना अच्छा होगा। अगर नवंबर माह के अंदर आपने मिर्च की नर्सरी को तैयार किया हो, तो इन पौधों को खेत के किनारे मेड़ों पर भी उगा सकते हैं।


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लेकिन याद रहे कि पौधों के मध्य में 18 से 24 इंच की दूरी अवश्य हो। सर्दियों में मिर्च की फसल में अधिक पानी देने की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है। इस वजह से 10 से 15 दिन के अंतराल में हल्का सा जल जरूर दें, जिससे 60 से 90 दिनों के भीतर बेहतरीन उत्पादन हाँसिल हो सके।

प्याज का उत्पादन करें

सर्द जलवायु में प्याज से अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है, कि 17 जनवरी तक प्याज के पौधों का रोपण कर सकते हैं। अगर प्याज की बाजार में मांग के बारे में बात करें तो लाल प्याज सहित हरे प्याज की भी अच्छी खासी मांग रहती है। प्याज की खेती से बेहतरीन उत्पादन हेतु खेतों में पहले उर्वरक डाल क्यारियां तैयार करें।


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इसके उपरांत 10 से 20 सेमी की दूरी पर प्याज का पौधरोपण की कर दें। आपको बतादें कि प्याज की बुवाई या रोपाई हेतु सबसे अच्छा समय शाम का माना जाता है। प्याज में हल्की सिंचाई करने से फसल में नमी बनी रहती है।

कंद सब्जियों का उत्पादन करें

ठंड के मौसम को कंद सब्जियों का भी मौसम माना जाता हैं, आलू से लेकर अदरक, हल्दी, शकरकंद, गाजर, मूली आदि का उत्पादन किया जाता है। यह समस्त फसलें 60 से 90 दिन में पूरी तरह उपभोग हेतु तैयार हो जाती हैं। यह भूमि में उत्पादन करने वाली सब्जियां हैं, इस वजह से मृदा में सामान्य नमी का होना जरुरी है। जिन खेतों में जलभराव हो वहाँ कंद सब्जियां ना उगाएं, इसकी वजह से उत्पादन में सड़न-गलन उत्पन्न हो जाती है। इन बागवानी सब्जियों की अप्रैल माह तक बाजार में खरीद बनी रहती है।

हरी पत्तेदार सब्जियां उगाएँ

सर्दियों की प्रसिद्ध हरी सब्जियां पालक, मेथी, धनिया, बथुआ एवं सरसों का साग अत्यधिक मांग में रहता है। एक बार खेतों में इन सब्जियों का उत्पादन करके प्रथम कटाई के उपरांत हर 15 दिन के अंतराल में 3 से 4 बार कटाई ली जा सकती है। हरी पत्तेदार सब्जियों में आयरन की बहुत अच्छी मात्रा पायी जाती है। बहुत सारे लोग इन सब्जियों को सुखाकर वर्षभर उपयोग करते हैं, जिन्हें ड्राई वेजिटेबल्स भी कहा जाता है। अगर आप जनवरी माह में इन सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं, तो मार्च माह तक आपको खूब उत्पादन प्राप्त हो जाएगा।

मटर के उत्पादन से होंगे यह लाभ

मटर का उत्पादन सर्दियों के मौसम में किया जाता है, परंतु इससे किसान मात्र एक बार की खेती से वर्ष भर लाभ उठा सकते हैं। जनवरी में मटर की बुवाई कर एकसाथ उत्पादन लेकर इसकी प्रोसेसिंग करें एवं इसको फ्रोजन मटर का रूप दें। इस तरह आपकी उपज पूरे वर्ष बिकेगी एवं बर्बाद भी नहीं होगी। बतादें कि बहुत सारे डेयरी केंद्र, परचून की दुकान एवं विभिन्न उत्पाद श्रेणियों पर फ्रोजन मटर की माँग रहती है। चाहें तो ई-नाम के माध्यम से सीधे ऑनलाइन मंडी में मटर का उत्पादन को विक्रय किया जा सकता है।
अचानक बारिश से इस राज्य के किसानों को लगा झटका

अचानक बारिश से इस राज्य के किसानों को लगा झटका

किसान मोहित वर्मा का कहना है, कि उन्होंने इस बार काफी बड़े स्तर पर टमाटर की खेती की थी। खेत में टमाटर पके हुए थे। बस एक से दो दिन में उसकी तुड़ाई चालू होने वाली थी। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जनपद में मौसम ने आकस्मिक तौर पर करवट बदली एवं देखते ही देखते आसमान में काले बादल से छा गए। इसके उपरांत तेज हवाओं सहित बारिश का दौर चालू हो गया। इससे लोगों को गर्मी से काफी हद तक राहत तो मिली। परंतु, किसान भाइयों के लिए यह बरसात मुसीबत बन गई। बारिश से खेत में लगी तरबूज, खरबूज और टमाटर की फसल को काफी ज्यादा हानि पहुंची है। विशेष कर बारिश होने से टमाटर सड़ने लग गए हैं। ऐसी स्थिति में किसान काफी चिंताग्रस्त हो गए हैं।

तरबूज, खरबूज और टमाटर की फसल में काफी नुकसान

मीडिया खबरों के अनुसार, किसानों ने बताया है, कि पिछले साल बाजार में तरबूज, खरबूज, टमाटर और खीरा का अच्छा-खासा भाव था। इसके चलते किसानों ने इस बार इन्हीं सब फसलों की खेती की थी, जिससे बेहतरीन आय हो पाए। परंतु, अचानक बारिश आने से सबकुछ बर्बाद हो गया। किसानों ने कहा है, कि बरसात की वजह से टमाटर, तरबूज और खरबूज की फसल में रोग लगना शुरू हो गए हैं। इससे फल सड़ना शुरू हो जाते हैं। साथ ही, तरबूज और खरबूज में दाग- धब्बे आ गए हैं। इससे बाजार में इसकी कीमतों में काफी गिरावट आई है। ऐसे में किसान भाई खर्चा तक भी नहीं निकाल पा रहे हैं।

व्यापारी टमाटर को खरीदने से बच रहे हैं

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि किसान मोहित वर्मा ने कहा है, कि उन्होंने इस बार बड़े स्तर पर टमाटर की खेती की थी। उनके खेत में टमाटर पके हुए थे। बस एक से दो दिन में उसकी तुड़ाई चालू होने वाली थी। परंतु, इससे पहले ही बारिश हो गई, जिसके चलते टमाटर में कीड़े लग गए एवं सड़न भी चालू हो गई। फिलहाल, बाजार में मेरे टमाटर को व्यापारी खरीदने से कतरा रहे हैं। मोहित वर्मा का कहना है, कि इस बार उसने 2 बीघे खेत में टमाटर की खेती की थी। इसके ऊपर 60 हजार रुपये की लागत आई थी। परंतु, फिलहाल ऐसा लग रहा है, कि लागत भी नहीं निकल सकेगी। यह भी पढ़ें : गर्मियों में ऐसे करें टमाटर की खेती, जल्द ही हो जाएंगे मालामाल

तरबूज और खरबूज की खेती करने वाले किसान ने क्या कहा है

साथ ही, किसान बहादुर ने कहा है, कि इस बार 70 हजार रुपये की लागत से उसने चार बीघे में तरबूज और खरबूज की खेती की थी। परंतु, बारिश के कारण तरबूज और खरबूज के फल सड़ना शुरू हो गए। साथ ही, उसमें दाग- धब्बे भी आ चुके हैं। अब ऐसी स्थिति में मंडी में हमारी फसल की समुचित कीमत नहीं प्राप्त हो पा रही है। यदि मंडी के अंदर यही भाव चलता रहा, तो इस बार तरबूज- खरबूज की खेती में घाटा होगा। बतादें, कि बारिश की वजह से महाराष्ट्र में किसान भाइयों को काफी हानि का सामना करना पड़ा है। सैकड़ों एकड़ में लगी प्याज की फसल को भी क्षति पहुंची है।